आउटसोर्सिंग सेवाओं में इंडिया के बाद दुसरे स्थान पर आने वाला चीन ने अव्वल दर्जे के लिए अपनी कमर कस ली है। हाल ही में चाइनीज एकेडमी ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड एंड इकनोमिक कॉपरेशन की ओर से आयोजित ग्लोबल सर्विस आउटसोर्सिंग समिट में 31 नेशनल आउटसोर्सिंग मॉडल सिटी की योजना का आव्हान किया गया।
जहां भारत केवल 6 शहरो दिल्ली एनसीआर, मुंबई, हैदराबाद, पुणे, चैन्नई और बंगलुरु के बूते पर श्रेष्ठ होने का दम भर रहा है, वही चीन अपनी 31 आउटसोर्सिंग स्मार्ट सिटी से क्या कुछ कर पायेगा ये विचारशील है। हलाकि अन्य देशों की तुलना में बेहतर सेवाएं मिलने की वजह से भारत पहली पसंद ज़रूर है लेकिन इसके साथ यहा मिलने वाली असुविधाओं को भी नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता।
यहाँ न तो सुविधाओं की पूर्ति के लिए कोई सरकारी मदद है न ही ठोस नीति नियम। जहा ट्रांसपोर्ट से लेकर बिजली के जनरेटर का खर्च भी कंपनी के भरोसे है वह सरकारी हर्ताक्षेप के नाम पर केवल मोटा टेक्स वसूलने पर ध्यान दिया जाता है। ये ग्लोबल मीटिंग भारत के लिए नयी चुनोती बनकर सामने उभर रही है। इंटरनेशनल बिज़नेस के लिए सरकारी तालंम टोल का हर्जाना कही पूरी इंडस्ट्री मो न भुगतना पड़े।
आउटसोर्सिंग के क्षेत्र के दिग्गज आइवरी एजुकेशन के डायरेक्टर कपिल रामपाल के अनुसार “चीन को कम आंकना भारत के लिए मूर्खतापूर्ण कार्य हो सकता है, मीटिंग में इंडियन मार्केट से जुडी हर एक चीज़ पर गहन विचार किया गया जो साफ़ ज़ाहिर करता है कि वे हमें मात देने के लिए कितने सजग है। सरकार का ढीला रवैया भारत से ये एक श्रेष्ठ उपाधि भी छीन लेगा”
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